
रात कटी इन्तेज़ार में आपके कॉल के!
माशा अल्ला जुट बोलना तो कोई सीके आपसे!!
माना वादे बनते तोड़ने के लिए!
अजी दील भी तो बनते

सपने बुने कुछ नई कहानी,
अब तो कटेगी इसी में जवानी!
वो इन्तेज़ार के लम्हे वापस कर जाइए,
हो सके तो ज़रा न्यानो से न्यन लड़ा जाइए!
कसम इस जवानी की दीवाना बना देंगे हम!
इस परियो के महफ़िल मे हम भी कुछ कम नही सनम!
शमाओ का तो क्या... वो तो जल जाएँगे!
रात को और हसीन कर जाएँगे!
आप भी क्या याद करोगे...
अदाओ पे हुमारी लखो मार जाएँगे!!
आईना तरसती है हम्री झलक की चाह मे!
हवा नाचती है हमारी धड़कन की राग मे!!
जब ऐसी मची है धूम हमारे हुस्न के
आप नही तो सही...कोई तो कॉल करेगा आदि रात मे!!!

अश्विनी